ना जाने क्यों है
पर है बेवजह अनायास
तेरी इक तस्वीर मेरे पास
जबकि मैं और तुम
कभी मिले नही हैं!
ये इत्तेफाक़ है
या कुदरत की कोई चाल है
जो मिट्टी हवा आब खुशबू
धूप चाँद रात है
पर गुल मुहब्बत के अभी तक
खिले नहीं है।
ना जाने क्यों है
पर है बेवजह अनायास
तेरी इक तस्वीर मेरे पास
जबकि मैं और तुम
कभी मिले नही हैं!
ये इत्तेफाक़ है
या कुदरत की कोई चाल है
जो मिट्टी हवा आब खुशबू
धूप चाँद रात है
पर गुल मुहब्बत के अभी तक
खिले नहीं है।
मुझे ग़म की जरूरत नहीं है
रोने के लिए
तुम्हारे साथ होने का
एहसास ही काफी है
तुम्हारा होने के लिए।