बहुत दिनों के बाद मिला मैं एक पुराने मित्र से।
बेहद मुरझाया टूटा बेआस था
जाने कब से तन्हा और उदास था
मंजिलें एक हैं
रास्ते बदल जाएंगे
दिल में रहेंगे लेकिन
कुछ दूर नजर आएंगे
हँसते हुए चेहरों की
रौनक याद रखना
विछड़ेंगे तो लेकिन
ख्वाबों में आएंगे ।
हाथों में हाथ न हो,
दिल में जज़्बात होंगे
ख्वाबों के मंजर
यादों से आबाद होंगे।
-देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'