Tuesday, August 1, 2023

आल्हा

धन्य धरा हे मातृभूमि हो, भारत मां की जय जय कार
लहर लहर लहराए तिरंगा, महादेव की कृपा अपार।

कारवां हो गए

फूल थे जो कभी बागवां हो गए

थे अकेले चले कारवां हो गए।

चंद सिक्के तिजोरी में क्या आ सजे

जाने कितनों के वो जानेजाँ हो गए।

भूल थी कुछ न बदलेगा जाने के बाद

घर कितने किराए के मकां हो गए।

साजिश है यकीनन नेमत नही कोई

पल हंसी के जो यूं मेहरबां हो गए।