Monday, March 25, 2024

मित्र

अपनी यादों में उभरते हंसी के मनमोहक चित्र से
बहुत दिनों के बाद मिला मैं एक पुराने मित्र से।
बेहद मुरझाया टूटा बेआस था
जाने कब से तन्हा और उदास था

Thursday, March 14, 2024

झूठी बातें लिख दी

अच्छी अच्छी बातें लिख दी
खुशियों की बरसातें लिख दी।
सत्ता का गुण गाने वाले को
कितनी सौगातें लिख दी।
सपनों में सूरज चमकाकर 
काली लंबी रातें लिख दी।
जुगनू के पर काट छांट कर
लाचारी की लातें लिख दी।
वो दीवाना तन्हाई का है 
उसके घर बारातें लिख दी।
कृषक पालते सारे जग को
हिस्से में खैरातें लिख दी।
'विनीत' कितना पागल है तू
कितनी झूठी बातें लिख दी।

   -देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'

Thursday, March 7, 2024

अलविदा के पल

मंजिलें एक हैं 

रास्ते बदल जाएंगे 

दिल में रहेंगे लेकिन 

कुछ दूर नजर आएंगे

हँसते हुए चेहरों की 

रौनक याद रखना 

विछड़ेंगे तो लेकिन 

ख्वाबों में आएंगे । 

हाथों में हाथ न हो, 

दिल में जज़्बात होंगे 

ख्वाबों के मंजर 

यादों से आबाद होंगे। 

-देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'