Thursday, March 7, 2024

अलविदा के पल

मंजिलें एक हैं 

रास्ते बदल जाएंगे 

दिल में रहेंगे लेकिन 

कुछ दूर नजर आएंगे

हँसते हुए चेहरों की 

रौनक याद रखना 

विछड़ेंगे तो लेकिन 

ख्वाबों में आएंगे । 

हाथों में हाथ न हो, 

दिल में जज़्बात होंगे 

ख्वाबों के मंजर 

यादों से आबाद होंगे। 

-देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'

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