खुशियों की बरसातें लिख दी।
सत्ता का गुण गाने वाले को
कितनी सौगातें लिख दी।
सपनों में सूरज चमकाकर
काली लंबी रातें लिख दी।
जुगनू के पर काट छांट कर
लाचारी की लातें लिख दी।
वो दीवाना तन्हाई का है
उसके घर बारातें लिख दी।
कृषक पालते सारे जग को
हिस्से में खैरातें लिख दी।
'विनीत' कितना पागल है तू
कितनी झूठी बातें लिख दी।
-देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
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