फूल थे जो कभी बागवां हो गए
थे अकेले चले कारवां हो गए।
चंद सिक्के तिजोरी में क्या आ सजे
जाने कितनों के वो जानेजाँ हो गए।
भूल थी कुछ न बदलेगा जाने के बाद
घर कितने किराए के मकां हो गए।
साजिश है यकीनन नेमत नही कोई
पल हंसी के जो यूं मेहरबां हो गए।
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