Sunday, February 20, 2022

इत्तेफाक़

ना जाने क्यों है

पर है बेवजह अनायास

तेरी इक तस्वीर मेरे पास

जबकि मैं और तुम

कभी मिले नही हैं!


ये इत्तेफाक़ है

या कुदरत की कोई चाल है

जो मिट्टी हवा आब खुशबू

धूप चाँद रात है

पर गुल मुहब्बत के अभी तक

खिले नहीं है।



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