उनके मुताबिक
उनके लिए
जिन्हें पसंद है
तुम्हें पढ़ना
तुम्हें सुनना।
तुम लिखना जरूर
अपने लिए भी
और अपने अंतर्मन से
उपजी कविताओं का
एक बाग लगाना
जिसमें बैठ तुम मिल सको
पढ़ सको खुद को
गा सको अपने गीतों को
आनंद की उसी लय पर
जिसकी तलाश है
तुम्हें प्रतिदिन
प्रतिपल।
-देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
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