Thursday, February 29, 2024

काला और गोरा

मन काले से घबराता है
तन गोरा ही क्यों भाता है
मन काला है या गोरा है
कुछ भेद समझ न आता है।
दोष दृष्टि मे अथवा मन में 
या कोई गूढ़ कहानी है
काले नैनों में इतराती क्यों
सपनों की गोरी रानी है।

प्रश्न पूछता जो भीतर से 
वह किसका परिचायक है
काला या गोरा क्या आखिर
कहलाने के लायक है।
तन को देखूं मन में झांकूँ 
उत्तर ना कोई मिलता है।
प्रश्न संजोये यूं ही जीवन
आगे बढ़ता चलता है।



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